अर्क लवण (arka lavan)

अर्क (Calotropis gigantea) व लवण (rock salt) का एक ऐसा दुर्बल योग है जो विशेषतः यकृत (liver)और प्लीहा (spleen) के समस्त रोगो के साथ साथ समस्त गुल्म की औषधि है

Reference

अर्कपत्रं सलवणं पुटदग्धं सुचूर्णितं। निहन्ति मस्तुना पीतं प्लीहानमतीदारुणं। (भा.प्र.चि.३३/१२)

मंदार के पत्रों को सैंधव नमक के साथ पुटपाक द्वारा जलाकर चूर्ण करके मस्तु या छाछ के साथ पीने से अत्यंत दारुण (कमजोर) हुआ प्लीहा भी सही हो जाता है

अर्कपत्रं सलवणमन्तर्धुमं दहेन्नार। मास्तुना तत्पिबेत्क्षारं प्लीहागुल्मोदरा पहन।। (भैषा ४१/३१)

आक के पके हुए पत्तों पर सैंधव नमक को पानी के साथ पीस कर लेप कर देवें। इस प्रकार कई पत्तों पर लेप करके उन्हें एक के ऊपर एक जमा कर किसी हंडिका(मिट्टी का बर्तन )में भर कर उसका मुँह बंद करके गजपुट की अग्नि में पुटपाक कर देवें। इस प्रकार बने हुए अर्कलवण को चूर्ण बना कर ४ -८ रत्ती की मात्रा में प्रतिदिन मस्तु या छाछ के साथ पिने से प्लीहा ,गुल्म व समस्त प्रकार के यकृत व उदररोग शांत हो जाते है।

उपयोग विधि

प्रति दिन सुबह व शाम मस्तु या छाछ कर साथ खाने के साथ अथवा खाने के बाद |
अथवा
चिकित्सक के निर्देशानुसार |

मात्रा

Author

  • Dr Sankalp Jain

    Pure Ayurvedic Practitioner with 5 years of experience in the field of Ayurveda, we believe in making your life happy and healthy by working on the root cause of the disease.
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